बहुत कुछ हमारे जीवन में घटता रहता है। हम कई बार सोचकर बहुत अधिक उत्साह में स्वयं को पाते हैं। यह बुरा नहीं है, लेकिन बिना नतीजे के उत्साह...
बहुत कुछ हमारे जीवन में घटता रहता है। हम कई बार सोचकर बहुत अधिक उत्साह में स्वयं को पाते हैं। यह बुरा नहीं है, लेकिन बिना नतीजे के उत्साहित होना अच्छा नहीं। परिणाम आने पर यदि वे हमारे अनुसार नहीं रहते तो मन बिखर सकता है।
चीजों को सोच समझकर करना एक उन्नत इंसान की विशेषता है। जल्दबाजी में किया गये कार्य के खराब होने की संभावना अधिक रहती है। उसमें व्यक्ति को कई मौकों पर खतरे मोल लेने को भी बाध्य होना पड़ सकता है। कुल मिलाकर ऐसे कार्य में लाभ कम हानि की अधिक होने की शंका रहती है। वहां भी व्यक्ति का उत्साह शामिल होता है। वह स्वयं पर अधिक भरोसा कर जाता है। यह अति उत्साह है।
इससे बचने के लिए हम कुछ सरल बातें अपने जीवन में उतार सकते हैं।
कोई भी कार्य करने से पहले स्वयं से एक बार बात कर लें। खुद से शांत मन से पूछें :
- क्या आप यह कार्य करने में सक्षम हैं?
- क्या आप स्वयं को इस लायक मानते हैं?
- क्या आप को खुद पर भरोसा है?
- क्या इससे आपके भविष्य के कामों पर कोई असर होगा?
- क्या यह आपका समय तो व्यर्थ नहीं कर रहा?
- ऐसा कर क्या आप कुछ नया कर रहे हैं?
- क्या आपका इससे कोई मकसद हल हो रहा है?
- क्या यह हानिकारक कार्य है?
- क्या यह समाज को कुछ दे सकता है?
- क्या यह आपके जीवन को भी बदलेगा?
बहुत सोच-समझकर काम करने से आपको चीजों को बारीकी से समझने में हर बार आसानी होती जायेगी। आप खुद भी महसूस करने लगेंगे कि क्या आपको करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही आप यह भी महसूस करेंगे कि जीवन में किस तरह के बदलाव आपको चाहिएं।
उत्साही होकर कार्य करना अपने में एक बहुत अच्छा अनुभव है। इसे कायम रखिये। आप अपने उत्साह को जगायें रखें, मगर उसे इतना न जगायें कि यह अति-उत्साह में परिवर्तित हो जाये।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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Simple ways to avoid over enthusiasm.